बुधवार, 3 जून 2009

निर्णय क्षमता विस्तार कैसे हो

प्रिये मित्रों ,
प्राय हम किसी भी उम्र के पड़ाव पर हो ,कई बार निर्णय-अनिर्णय के जाल मैं हम फस ही जाते हैं । यह स्तिथितब ही उत्पन्न होती है जब हमारे पास एक से ज्यादा विकल्प होते हैं । विडंबना यह है की हमारे सवालोंके जवाब हमारे सिवा किसी के पास नही होते , विकल्प ही हमारी समस्या का प्रमुख कारन होते हैं ,
प्रश्न उठता है , विकल्प कब आते हैं ?
देखा जाए तो विकल्प एक मृग मरीचिका (छलावा ) मात्र हैं , हमारी कमज़ोर तयारिओं की अवेध संताने हैं ,
जैसा की हम जानते हैं , की सफलता की राह बहुत आसन नहीं होती , दुनिया मैं मुफ्त कुछ भी नहीं है ।
आसां लगने वाले विकल्प आंगे परेशानी पैदा करेंगे यह ते है , एक समझदार मानुष वो है जो ,सबसे जरूरी कामो को सबसे पहले करे ।
आज आप जिस कंप्यूटर पर काम कर रहे है वो सफलतम मशीन इसलिए है , क्योंकि वो प्रिओरिटी ,जाब सह्दुलिंग नाम की एल्गोरिथम पर काम करता है ।
शांत मन से बैठकर एक कागज़ पर लकीर खींचकर , विकल्प १ व विकल्प २ दोनों को लिखिए ,
लिखने से फायदा यह होगा ,की आंकडे साफ़ साफ़ आपके सामने रहेंगे ।
निहायत ईमान दारी के साथ पूरे मन से दोनों विकल्पों के फायदे और नुक्सान लिखिए ।
मैं यह करूँ तो क्या हो जायगा , क्या नहीं हो जाएगा इतिआदी ।
बुरे से बुरे परिणामो पर विचार कीजिये , मानसिक रूप से तैयार रहिये ।
यकीन मानिये यह तरीका पढने मैं आसान लग सकता है , परन्तु है बहुत काम का ।
टिप्पणी अवश्य करिए ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय बन्धु
    जय हिंद
    चलिए अनिर्णय की स्थिति आने दीजिये

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  2. you are right gagan jee,

    there are so much talented writers in your blog. but they should give some concret blue print to improove the condition of common man in india.

    thanks
    ashok gupta
    delhi

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