मंगलवार, 2 जून 2009

आज हम युवा एक ऐसी परीस्थिति मेंहैं , कम से कम वो लोग जो आज मेरा ब्लॉग देख रहे हैं ,आज यदि हम
सफल हैं , तो व्यवस्थित नहीं (यहाँ व्यवस्थित से मेरा तात्परिए हर तरह से एक सफल जीवन जीने से है ,पैसा ,प्रसिद्दी , भोग यह सभी हमें मिलेंगे ,क्योंकि प्रयास कभी खाली नहीं जाते लेकिन कुछ और भी हमें यानी पढ़े लिखे लोगों को करना है क्योंकि हम ही हैं जिस पर देश ,मानव जिम्मेदारियां बनती हैं , नहीं तो आप और किस से आशा करते हैं )

इस ब्लॉग में चाहता तो आप के मनोरंजन की ऐसी ऐसी सामग्री डाल सकता था , जो आप को कहीं और नहीं मिलती यह भी तय है,और डालूँगा भी ।
लेकिन हमें पहले हमारे कर्तव्यों का एहसास करना होगा । क्योंकि हम ही हैं ......
बूँद बूँद से ही घडा भरता है , यदि सभी इस तरह के विचारों को मजाक बनाएँगे तो देश समाज अदि की व्यवस्था कोन करेगा ।
आज पहले में आपको १ कहानी सुनाता हूँ ।

एक राजा को अपनी प्रजा पर बहुत भरोसा था , उसने मंत्री से इस बात की शर्त लगाई , मंत्री ने कहा " महाराज नगर के बाहर जो तालाब है सूखा पड़ा है , यदि प्रजा इतनी ही आज्ञा कारी है तो आदेश दे,की उसे रात भर में ढूध से भर दे,सभी लोग अपने अपने घरों से एक एक बाल्टी ढूध लायें । " राजा ने ऐसा ही करा । हुकुम जारी हो गया ।

लोगों ने सोचा अंधेरे में किसी को पता नहीं चलेगा अगर हम एक बाल्टी ढूध की जगह पानी डाल दें ।
बाकी लोग तो ढूध डाल ही रहे हैं । आगे आप सब जानते हैं क्या हुआ होगा ।

सुबह तालाब पानी से ही भरा हुआ था । हरेक व्यक्ति ने एकसा सोचा और ढूश की जगह एक एक बाल्टी पानी डाल दिया ।
मित्रो यदि हम सभी अपनी अपनी जिम्मेदारियों से भागेंगे तो ऐसा ही होगा ।
आप को dustbin में कचरा डालते देखकर ,और लोग भी इसका पालन करने के लिए बाध्य हो जाते हैं ।
ट्रेंड वोही होता है जो , नोर्मल्ली चलता है ।
बात सिर्फ़ यहाँ तक नहीं हैं , यह आपकी बुध्धि पर निर्भर है ।

1 टिप्पणी:

  1. प्रिय बन्धु
    जय हिंद
    हम सचमुच अपनी जिम्मेदारियों का एहसास नहीं करते
    अगर आप अपने अन्नदाता किसानों और धरती माँ का कर्ज उतारना चाहते हैं तो कृपया मेरासमस्त पर पधारिये और जानकारियों का खुद भी लाभ उठाएं तथा किसानों एवं रोगियों को भी लाभान्वित करें

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